Pakistan Nuclear Weapons Are They Safe Growing Global Concerns Terrorist Threat IAEA Oversight Needed

क्या पाकिस्तान के परमाणु बम सुरक्षित हाथों में हैं? ये सवाल इसलिए क्योंकि एक बार फिर पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों पर दुनिया की चिंता बढ़ गई है. सवाल ये भी है, क्या पाकिस्तान के परमाणु बम आतंकवादियों के हाथ में जा सकते हैं? ये सवाल और ज्यादा फिक्र बढ़ाने वाला है क्योंकि AK-47 से अटैक करने वाले आतंकियों के हाथ अगर न्यूक्लियर वेपन लग जाएं तो किस कदर कोहराम हो सकता है. क्या पाकिस्तान के परमाणु बमों की वजह से दुनिया खतरे में पड़ सकती है? इस सवाल पर विश्व समुदाय को गंभीर होना होगा क्योंकि पाकिस्तान के हालात तेज़ी से बिगड़ते जा रहे हैं. इन सवालों के साथ ही एक और सवाल है, क्या अब पाकिस्तान के परमाणु बमों की अंतर्राष्ट्रीय निगरानी का समय आ चुका है? International Atomic Energy Agency को नींद से जागना होगा, वरना पाकिस्तान किसी भी दिन Nuclear Time Bomb बन सकता है. पाकिस्तान के परमाणु बमों को लेकर ये फिक्र क्यों बढ़ी है? आइए ये समझने की कोशिश करते हैं.

कराची में आतंकियों की रैली

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कराची में लश्कर-ए-तैयबा और जमात ने आतंकियों का, कट्टरपंथियों का मजमा लगाया. भारत के खिलाफ जहर उगला और हर बार की तरह इस मजमे की निगरानी की जिम्मेदारी भी पाकिस्तान की पुलिस और फौज उठाती दिखी.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के मंत्री राना तनवीर मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के तबाह हो चुके हेडक्वार्टर पहुंचे थे. ऑपरेशन सिंदूर में घायल लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों से मुलाकात की थी. PM शहबाज शरीफ की ओर से आतंकवादियों को बर्बाद मुरीदके टेरर कैंप को फिर से बनाने का भरोसा भी दे दिया.

आतंकी के परिवार को मदद का भरोसा

आतंकियों के लिए पाकिस्तान का ये प्रेम यहीं नहीं थमा. बीते दिन ही पाकिस्तान की फौज के लेफ्टिनेंट जनरल फय्याज हुसैन शाह लाव-लश्कर के साथ लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मुदस्सिर के घर पहुंचे हुए थे. आतंकी के परिवार से मिलकर सांत्वना जताई थी. पैसे से लेकर हर तरह की मदद का भरोसा दिया था. लश्कर-ए-तैयबा का टॉप टेररिस्ट मुदस्सिर भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मारा जा चुका है.

सोचिए जब पाकिस्तान की सरकार और फौज आतंकवादी संगठनों पर इतनी मेहरबान है, पाकिस्तान की फौज और ISI का जैश-लश्कर के आतंकवादियों से टेरर वाला डीप कनेक्शन है तो फिर इस बात की क्या गारंटी है कि पाकिस्तान के परमाणु बम इन आतंकवादियों के हाथ नहीं लगेंगे? असल में टेररिज्म पाकिस्तान की भारत के खिलाफ पॉलिसी का एक हिस्सा है और पाकिस्तान की न्यूक्लियर वेपन पॉलिसी भी भारत से दुश्मनी की वजह से ही शुरू हुई. ऐसे में इस बात की ज्यादा संभावना है कि पाकिस्तान की टेरर पॉलिसी और न्यूक्लियर वेपन पॉलिसी एकसाथ मिल जाएं.

पाकिस्तान के पास इस समय 170 परमाणु बम

सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास इस समय 170 परमाणु बम हैं. इनमें से एक भी परमाणु बम इन आतंकवादियों के हाथ लग गए तो सोचिए दुनिया में कैसी तबाही मच सकती है. शायद यही वजह है कि आज जम्मू-कश्मीर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर International Atomic Energy Agency का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की. राजनाथ सिंह ने साफ साफ कहा कि IAEA को पाकिस्तान के परमाणु बमों की निगरानी करनी चाहिए. एक ग़ैरज़िम्मेदार और रोग नेशन के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं.

बता दें कि IAEA को न्यूक्लियर वॉचडॉग कहा जाता है. IAEA एक ऐसा संगठन है जिसका काम परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है. इसका उद्देश्य किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए परमाणु हथियारों के उपयोग को रोकना है. इसकी स्थापना 1957 में हुई थी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

आज आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिज्ञा कितनी कठोर है, इसका पता इसी बात से चलता है कि हमने उनके न्यूक्लियर ब्लैकमेल की भी परवाह नहीं की. पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे गैर-जिम्मेदाराना तरीके से पाकिस्तान द्वारा भारत को अनेकों बार एटमी धमकियां दी गई हैं. आज श्रीनगर की धरती से मैं पूरी दुनिया के सामने ये सवाल उठाना चाहता हूं कि क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार और रोग-नेशन के हाथ में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं. मैं मानता हूं पाकिस्तान के एटमी हथियारों को IAEA की निगरानी में लिया जाना चाहिए. मैं ये कहना चाहूंगा और साफ तौर पर कहना चाहूंगा, साथियों हमारी सेनाओं हमारी सीमाओं पर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जिस तरह से आप सभी बिना रुके बिना थके दिन रात लगे रहते हैं, वो अपने आप में अद्भुत है!

वैसे, IAEA ने पाकिस्तान के किनारा हिल्स में न्यूक्लियर रेडिएशन वाली खबरों पर बयान जारी किया है. IAEA का कहना है, किनारा हिल्स में ऐसे किसी भी रेडियो एक्टिव पदार्थ का रिसाव नहीं हो रहा है लेकिन आतंकवादियों के मन में भारत के खिलाफ जहर का रिसाव किस कदर हो रहा है. भारत के ऑपरेशन सिंदूर से ये सब कितना बौखलाए हुए हैं, इसे कराची के माहौल से समझ सकते हैं.

कराची में पाकिस्तानी सेना के समर्थन में रैली निकाली गई. इसमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और अहले सुन्नत वल जमात शामिल था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही आतंकवादी संगठन घोषित हैं. दिफा-ए-वतन नाम की रैली में कई कट्टरपंथी मौलाना भी शामिल हुए. रैली में आतंकियों और कट्टरपंथी नेताओं ने बुलेटप्रूफ ग्लास के पीछे खड़े होकर भारत विरोधी भाषण दिए. रैली का आयोजन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने किया था. रैली में कट्टरपंथी नेताओं ने भारतीय एक्शन से पस्त पाकिस्तानी सेना की तारीफ की. रैली में भारत और पाकिस्तान के तनाव को धर्म से जोड़कर पेश किया गया.

Leave a Comment