Vice President Jagdeep Dhankhar Terrorism will no longer be tolerated not just a concern for one nation

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि आतंकवाद अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह किसी एक देश का नहीं, पूरी दुनिया का विषय है. जयपुर में भैरों सिंह शेखावत स्मृति पुस्तकालय का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं आज सबसे पहले भारतीय सेना के पराक्रम को नमन करता हूं. विश्व स्तर पर एक नया मानदंड स्थापित किया गया है.

उन्होंने कहा कि शांति के भाव को बनाए रखते हुए आतंकवाद पर सटीक प्रहार करना हमारा उद्देश्य रहा है. पहली बार, अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों पर सटीक प्रहार किया गया और दुनिया में किसी ने प्रमाण नहीं मांगा. पूरी दुनिया ने भारत की शक्ति को देखा. भारत ने एक सशक्त संदेश दिया है- अब एक बड़ा बदलाव आया है.

धनखड़ ने कहा, भारत ने केवल सैन्य मोर्चे पर नहीं, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक बड़ी कूटनीतिक लड़ाई भी लड़ी है और उसे जीत भी लिया है. सिंधु जल संधि को रोका गया. देश और दुनिया को यह संदेश दिया गया- जब तक भारत के दृष्टिकोण से हालात सामान्य नहीं होते, तब तक पुनर्विचार नहीं होगा. यह एक ऐसा ऐतिहासिक कदम था, जिसकी पहले न तो कल्पना की गई थी, और न ही उस पर विचार हुआ था.

भारत की ताकत को दुनिया ने पहचाना

राजस्थान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का स्मरण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, राजस्थान की इस वीर भूमि से महाराणा प्रताप की भूमि, महाराजा सूरजमल की भूमि से मैं उन सभी को नमन करता हूं जिन्होंने देश की रक्षा की और हमारी पहचान को सुरक्षित रखा.

भारत की शक्ति के प्रदर्शन पर बात करते हुए उन्होंने कहा, भारत ने पहली बार मई महीने में पोखरण-II के माध्यम से राजस्थान की धरती पर अपनी ताकत का परिचय दिया. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे और भैरों सिंह शेखावत राजस्थान के मुख्यमंत्री. तब हमने एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया. जब पहलगाम में उकसावे की घटना हुई, तब भारत की ताकत को दुनिया पहले ही पहचान चुकी थी. हम अपनी अर्थव्यवस्था में एक बड़ी छलांग लगा चुके थे. आज हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी शक्ति हैं और तीसरे स्थान की ओर अग्रसर हैं.

उन्होंने आगे कहा, जब प्रधानमंत्री को लगा कि भारत की पहचान को चुनौती दी जा रही है, उन्होंने बिहार की धरती से दुनिया को एक संदेश दिया और उस पर दृढ़ता से टिके रहे. दुनिया ने देखा कि हमारे आकाश का क्या अर्थ है. दुनिया ने ब्रह्मोस का अर्थ समझा. आज यह शक्ति वैश्विक रूप से स्वीकार की जा चुकी है.

उपराष्ट्रपति ने भैरों सिंह शेखावत-देवी लाल को लेकर कही ये बात

अपने जीवन के दो पथ-प्रदर्शकों को स्मरण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, मेरे जीवन में दो व्यक्तित्वों का विशेष महत्व रहा है-भैरों सिंह शेखावत और चौधरी देवी लाल. दोनों का धरती से गहरा जुड़ाव था और आमजन से मजबूत संबंध. दोनों के जीवन निष्कलंक थे और उन्होंने राजनीति में एक महान परंपरा को पोषित किया. मैं तो उस वटवृक्ष का एक छोटा सा पत्ता हूं.

एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, भैरों सिंह शेखावत का दिल और दिमाग हमेशा आम आदमी के साथ था. मैंने एक भावनात्मक चित्र देखा- जिसमें चंद्रशेखर, नानाजी देशमुख, जयप्रकाश नारायण और भैरों सिंह शेखावत थे — और वह उन्हें अंत्योदय की अवधारणा समझा रहे थे. उन्होंने इसकी शुरुआत की थी.

धनखड़ ने भैरों सिंह शेखावत के संसदीय पारदर्शिता में ऐतिहासिक योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा, राज्यसभा के सभापति के रूप में भैरों सिंह शेखावत ने पारदर्शिता में एक नया मानदंड स्थापित किया. उन्होंने सभी सांसदों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने के लिए बाध्य किया. यह पहल भैरों सिंह ने ही शुरू की थी. यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण शुरुआत थी.

इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सांसद घनश्याम तिवाड़ी, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, सांसद मदन राठौड़, राजस्थान सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नारपत सिंह राजवी, अभिमन्यु सिंह राजवी (भैरों सिंह शेखावत स्मृति संस्थान के संस्थापक सचिव) सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.

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